एन.के.मिश्रा
गोला गोकर्णनाथ,लखीमपुरखीरी। समाजवादी पार्टी नगर अध्यक्ष व ह्यूमन वेलफेयर फाउंडेशन के संस्थापक वारिस अली अंसारी के आवास पर मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती मनाई गई। वारिस अली ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद एक कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
भारत की आजादी के बाद भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पद पर रहे व महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन रहे। उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता के लिए भी कार्य किया। वह अलग मुस्लिम राष्ट्र के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओं के साथ थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
सन 1923 में राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसिडेंट बने। आजादी के बाद भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए। भारत के सबसे पहले शिक्षा मंत्री बने। सन 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रत्येक वर्ष देशभर में 11 नवंबर को मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का अतुलनीय योगदान रहा है।
इस कार्यक्रम में सोमचंद प्रजापति, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ विधानसभा अध्यक्ष लियाकत हुसैन, राजु भार्गव, जलीस अंसारी, सर्वेश गौतम, लाल मोहम्मद अंसारी, अनीस अहमद अंसारी, शमीम अंसारी, वारिस अली मंसूरी, किशोरी लाल राठौर, मोहम्मद नईम खान, गोविंद वर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।