गोला नगर के महेश पटवारी के पास हैं सैकड़ों देशों के हजारों प्रकार के दुर्लभ डाक टिकट।
एन.के.मिश्रा
गोला गोकरणनाथ, लखीमपुर-खीरी।बहुमुखी प्रतिभा के धनी और तमाम समाजिक कार्यों में सदैव अग्रणीनगर के व्यापारी और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता महेश पटवारी को बचपन से ही डाक टिकट संग्रह करने का अनोखा शौक है। देशी-विदेशी, खेल, पशु-पक्षी और विभिन्न प्रमुख अवसरों पर भारत सरकार द्वारा जारी विशेष डाक टिकटों का ऐसा अनोखा-अनूठा भंडार शायद अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता।
इस संबंध में महेश पटवारी बताते हैं कि उनके बाबा स्व0 राम निवास पटवारी और पिता एमएल पटवारी बजाज चीनी मिल के लेखा विभाग में नौकरी करते थे। सन 1970 के दशक में मिल में सैकड़ों की संख्या में देश-विदेश से आने वाले पत्रों में लगे डाक टिकट खेल-खेल में एकत्र करते हुए कब यह शौक में बदल गया पता ही नहीं चला फिर तो शौक के चलते झारखंड, बिहार, कोलकाता आदि रिश्तेदारी में जाने पर वहां भी डाक टिकट तलाशते रहते थे। निजी व्यापार के सिलसिले में लखनऊ, कानपुर में जाना हुआ तो वहां भी इधर-उधर से डाक टिकट तलाशना और एकत्र करना जारी रहा। इस तरह फिर वह लखनऊ के प्रमुख डाकघर जीपीओ में फिलेटली क्लब के सदस्य बन गए।श्री पटवारी गोला नगर के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो फिलेटलिक क्लब के सदस्य हैं, जिसमें भारत सरकार द्वारा विशेष अवसरों पर जारी विशेष डाक टिकट उन्हें शुल्क जमा करने पर विभाग द्वारा समय-समय पर भेजे जाते रहते हैं और इस प्रकार इनके पास डाक टिकटों का अनूठा संसार एकत्र हो गया है।
भारत में आजादी के बाद सबसे पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को 3:30 आने मूल्य का राष्ट्रीय ध्वज से सजा हुआ टिकट जारी हुआ था। वह भी श्री पटवारी के पास संग्रहीत है।