एन.के.मिश्रा
सिंगाही, लखीमपुर खीरी। कोरोना को लेकर भारत-नेपाल की सीमा सील है। सीमा सील होने के बाद तस्करी भी बंद होने का दावा प्रशासन कर रही है। लेकिन सीमा सील का असर कहां तक है इस बात का अंदाजा नही लगाया जा सकता हैं। सीमा सील रहने के बाद भी सीमा पर तस्करी का धंधा जोरों पर है।
भारत-नेपाल की बंद सीमा के बाद भी अवैध रास्तों से तस्करी कर भारत में भारी मात्रा में नेपाली सिगरेट खुकरी लाई जा रही है। भारतीय कंपनियों की सिगरेट ज्यादा महंगी होने के कारण उसका बाजार लगातार कम हो रहा है। नेपाल सीमा से सटे बाजारों में खुकरी सिगरेट ने पूरी तरह सेंध लगा ली है। वहीं,सूत्रों की माने तो तिकोनिया, बेलराया, सिंगाही, निघासन कस्बों से लेकर गांव तक, गांव से शहर तक भारत में लाई जा रही सिगरेट को सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां भी रोक नहीं पा रही हैं।
नेपाल में बनने वाली सिगरेट की नेपाल के बाजार में 20 पैकेट की कीमत 800 रुपये है, जबकि भारत आने के बाद इसकी कीमत 1000 रुपये हो जाती है। यह कीमत भारतीय कंपनियों की सिगरेट की अपेक्षा बहुत ही कम है। भारतीय सिगरेट पर कई तरीके के टैक्स लगने के कारण नेपाल में निर्मित खुकरी सिगरेट ने भारतीय बाजार को पूरी तरीके से चैपट कर दिया हैं। खुकरी सिगरेट को भारत में लाने पर पूर्णतया प्रतिबंध के बाद भी खुकरी सिगरेट भारी मात्रा में लाई जा रही है। खुकरी सिगरेट के भारतीय बाजार में जम जाने से सरकार को प्रतिवर्ष करोङो रुपये के नुकसान भी होता है।
भारत में कैप्सटन, गोल्ड फ्लेक आदि कंपनी की सिगरेट बनती हैं। सभी सिगरेट खुकरी सिगरेट की तुलना में बहुत ज्यादा महंगी हैं। भारत में सरकार ने सिगरेट पर 14 प्रतिशत सीजीएसटी, 14 प्रतिशत एसजीएसटी, 5 प्रतिशत सेस लगा रखा है। विशेष सेस जो कि कंपनी से ही लग कर आता है। इस प्रकार भारतीय सिगरेट पर भारी टैक्स लगने के कारण यह बहुत ही महंगी हैं। भारतीय कैप्सटन का 50 रुपये, विल्स, गोल्ड फ्लेक का 200 रुपये है।
इन सबकी अपेक्षा नेपाली सिगरेट के 20 पीस के बाक्स की रिटेल कीमत 48 से 50 रुपये तक है। भारतीय सिगरेट पर भारी टैक्स लगने और नेपाल से आने वाली सिगरेट बिना टैक्स के आने से खुकरी सिगरेट की बिक्री बहुत ज्यादा बढ़ी है।