एन.के.मिश्रा
धौरहरा (लखीमपुर खीरी )।धौरहरा कोतवाली क्षेत्र के लालापुरवा गांव में मां और नवजात शिशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद पुलिस ने मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया था। मृतक के मायके वालों ने दहेज हत्या का आरोप लगाकर पुलिस से शिकायत की थी । पर क्षेत्रीय पुलिस मामले में टालमटोल करती रही ।
आखिरकार परिजनों की मेहनत रंग लाई और डीएम के आदेश पर एसडीएम की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को सीओ और कोतवाल ने नवजात शिशु का शव पांच महीनों बाद खुदवाकर पीएम के लिए भेज दिया है । धौरहरा के लालापुरवा मजरा जुगुनूपुर में 22 अप्रैल को संदेहास्पद स्थिति में नवजात बेटी और माँ की मौत मामले में तंत्र की लापरवाही का आलम ये रहा कि गंभीर आरोपों के बावजूद पुलिस ने उस नवजात बच्ची का शव ढूढने तक की कोशिश नहीं की। जिसे आरोपितों ने मृत जन्मी बताया था लेकिन अस्पताल के रिकार्ड के मुताबिक वह जीवित और स्वस्थ जन्मी थी।
बता दें कि 22 अप्रैल को लालापुरवा निवासी बबलू की पत्नी पप्पी देवी ने धौरहरा के सरकारी अस्पताल में एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था। सीएचसी अधीक्षक डॉ सुभाष वर्मा के मुताबिक प्रसव के दौरान मां बेटी दोनों स्वस्थ थीं। उन्हें रात तीन बजे उसके पति व परिवारीजन डिस्चार्ज करवा कर ले गए थे। लेकिन इसके दो घंटे बाद सुबह पांच बजे पप्पी के ससुरालीजनों ने उसके पिता खमरिया निवासी श्रीकृष्ण को पप्पी की मौत और मृत बेटी पैदा होने की सूचना फोन पर दी थी। मामला 23 अप्रैल को पुलिस तक पहुंचा और वहां भी पप्पी के पति बबलू और उसके परिवारीजनों ने मृत बेटी के जन्म लेने का बयान दिया। इसके कुछ देर बाद जब अस्पताल के रिकार्ड और अधीक्षक के बयान से यह प्रमाणित हुआ कि पप्पी ने मृत नहीं एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था तब भी कोतवाली पुलिस ने नवजात का शव तलाश करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसा तब था जब पप्पी के ससुराल वालों का झूठ प्रमाणित हो चुका था और नवजात को वह लोग रात में ही दफना देने की बात कह रहे थे। बृहस्पतिवार को इस विषय में पूछे जाने पर कोतवाल हरिओम श्रीवास्तव ने खुद को प्रकरण से अनजान दर्शाते हुए पता करवा लेता हूँ कहकर पल्ला झाड़ लिया था। इसी दिन सीओ अभिषेक प्रताप ने कहा था कि वह जांच करवा रहे हैं और अपराध की दशा में कार्रवाई होगी। मृतका पप्पी के पिता श्रीकृष्ण ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की मांग की है।