एन.के.मिश्रा
लखीमपुर खीरी।एक परिवार डीएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गया है। कोतवाली धौरहरा के लालापुरवा मजरा जुगनूपुर में 21-22 अप्रैल को संदेहास्पद स्थिति में नवजात बेटी और माँ की मौत हो गई थी। पुलिस ने उस नवजात बच्ची का शव ढूढने तक की कोशिश नहीं की।जिसे आरोपितों ने बच्ची को मृत जन्मी बताया था।
लेकिन अस्पताल के रिकार्ड के मुताबिक वह जीवित और स्वस्थ जन्मी थी। बता दें कि 22 अप्रैल को लालापुरवा निवासी बबलू की पत्नी पप्पी देवी ने धौरहरा के सरकारी अस्पताल में एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था। सीएचसी अधीक्षक डॉ.सुभाष वर्मा के मुताबिक प्रसव के दौरान मां बेटी दोनों स्वस्थ थीं। मामला 23 अप्रैल को पुलिस तक पहुंचा और वहां भी पप्पी के पति बबलू और उसके परिवारीजनों ने मृत बेटी के जन्म लेने का बयान दिया। इसके कुछ देर बाद जब अस्पताल के रिकार्ड और अधीक्षक के बयान से यह प्रमाणित हुआ कि पप्पी ने मृत नहीं एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था।
तब भी कोतवाली पुलिस ने नवजात का शव तलाश करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसा तब था जब पप्पी के ससुराल वालों का झूठ प्रमाणित हो चुका था और नवजात को वह लोग रात में ही दफना देने की बात कह रहे थे। इस विषय में पूछे जाने पर तात्कालिक कोतवाल हरिओम श्रीवास्तव ने खुद को प्रकरण से अनजान कहकर पल्ला झाड़ लिया था। इसी दिन सीओ अभिषेक प्रताप ने कहा था कि जांच करवा रहे हैं और अपराध की दशा में कार्रवाई होगी। पर वह जांच आज तक पूरी नहीं हो पाई। मृतका पप्पी के पिता श्रीकृष्ण ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की मांग की थी।
जिसपर डीएम ने पांच माह बाद मृत बच्ची का शव खोदवाकर विसरा सुरक्षित करवाने के आदेश दिए थे।पुलिस की इस कारस्तानी से परेशान पीड़ित श्रीकेशन सोमवार को अपने पूरे परिवार के साथ डीएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गया।हालांकि डीएम ने धौरहरा पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए है।