एन.के.मिश्रा
लखीमपुर-खीरी। बिजली विभाग के निजीकरण किये जाने के फैसले के खिलाफ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की हड़ताल बदस्तूर जारी है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति एवं राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के संयुक्त तत्वाधान में कर्मचारियों ने आवाज बुलंद करते हुए फैसले को वापस लेने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में स्थापित लगभग 1168 इंजीनियरिंग कालेजों में प्रति वर्ष दो लाख 33 हजार 660 इलेेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर निकलते हैं। 11 हजार छात्र 156 पालिटेक्रिक एवं 79 आईटीआई स्कूल में इसकी शिक्षा प्राप्त करते हैें।
महंगी शिक्षा के बावजूद निजीकरण किये जाने पर इनका भविष्य क्या होगा। वक्ताओं ने कहा कि सरकार इन छात्रों को बेरोजगारी के गर्त में ढकेलने का कुचक्र रच रही है। वहीं निजीकरण का दंश तैनात कर्मचारियों को भी झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि सुधार की आवश्यकता है तो सार्वजनिक क्षेत्रों से मिलकर की जाए। ताकि युवाओं का भविष्य भी उज्जवल हो सके। विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण की व्यवस्था उड़ीसा, दिल्ली, अजमेर, आगरा, नोएडा, महाराष्ट्र, कोलकाता सहित तमाम जगहों पर फेल हो चुकी है।
ऐसे में इससे सीख लेने की बजाए सरकारें वही गलती यहां भी दोहराना चाहती हैं। उन्होंने सरकार से मंथन कर इस फैसले को वापस लेने की मांग की। धरने पर अनुराग शर्मा, किताब सिंह, किरमानी बाबू, लवकुश मिश्रा, अमरदीप सिंह, विकास तिवारी, आशीष कनौजिया, जयंत मिश्रा, शेर अली खान, प्रेम, पीजीटू मुनींद्र मिश्रा, अमित कुमार, कुलदीप बाबू, एसडीओ बदरुद्दीन अंसारी व एक्शियन प्रदीप वर्मा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।