एन.के.मिश्रा
लखीमपुर खीरी। प्रदेश के तराई क्षेत्र की राजधानी जनपद खीरी जो भारत नेपाल सीमा पर स्थित है, की अमूल्य वन संपदा का दोहन थमने का नाम नहीं ले रहा है, यहां तक कि जनपद की अमूल्य वन संपदा जिसमें साखू, शीशम, सागौन जैसी अन्य बहुमूल्य फर्नीचर बनाने वाले वृक्षों की कटान बदस्तूर जारी है।
प्रदेश के एकमात्र नेशनल पार्क दुधवा में सैकड़ों वर्षों पुरानी दुर्लभ एवं प्रतिबंधित प्रजाति के वृक्षों की कटान करके उन्हें न केवल वन माफियाओं द्वारा जनपद से प्रदेश या प्रदेश के बाहर के स्थानों के अतिरिक्त पड़ोसी राष्ट्र नेपाल तक पहुंचाई जाती है और आश्चर्य का विषय यह है कि तस्करी की उक्त लकड़ी की कीमत का भुगतान नेपाली करेंसी में ही लेे लिया जाता है और बाद में उसे भारतीय मुद्रा में बदलवा लिया जाता है?
इस कार्य को संपादित करने में भारत के वन माफियाओं का गठबंधन नेपाली वनमाफियाओ से है, जबकि भारत नेपाल सीमा पर स्थित दुधवा नेशनल पार्क की बहुमूल्य एवं जंगली लकड़ी का कटान करने हेतु भारतीय मजदूरों का प्रयोग किया जाता है ।